स्वयं को जानो
मेरी यात्रा मुझ तक
निज धर्म यानी अपने स्वभाव में जीना है! Suchness यहाँ स्वभाव का अर्थ यह नहीं है कि आप अपनी मनमर्जी पर उतर जाए, जैसे आग का स्वभाव जलाना है वह जलाती है, पानी का काम स्वभाव बिना रुके बहना है अर्थात ढलान की तरफ बढ़ना है यह बढ़ता है यही इसका स्वभाव है!
इसी प्रकार स्वयं को जानना ही मानव का स्वभाव है! जब तक यह स्वयं को नहीं जान लेता है जब तक दुनिया में फैले सम्प्रदायों का गुणगान करता फिरता है! जब आप स्वयं को जानने की राह पर चल पड़ते है तो आपको हल्की-हल्की स्वभाव या निज धर्म की झलक सी आने लग जाती है! यदि आप चाहे तो आप स्वयं मुक्त हो सकते है और यदि आप नहीं चाहते है तो आपको कोई मुक्त नहीं कर सकता हैं!
जब वस्तुओ के स्वभाव की अभिव्यक्ति का ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो मानव देह के स्वभाव का भी अनुभव लिया जा सकता है!